Description
Author: अनंत विजय
Amethi Sangram by Anant Vijay - पिछले कुछ दशकों में अमेठी की असली पहचान तो भुला ही दी गई। एक ऐसी भूमि, जो महर्षि च्यवन की तपस्थली, माता कालिकन देवी का धाम और राजा सोढ़ देव की वीरगाथाओं के साथ ही स्थानीय निवासियों की आस्था, विश्वास व श्रम से निर्मित होकर परिपूर्ण थी, उसने आजादी के बाद आगे बढ़ने की बजाय उलटी राह पकड़ ली। इस पर सियासत का एक कृत्रिम आवरण सा चढ़ गया और इसे एक राजनीतिक पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील कर दिया गया।
अमेठी, कहने को तो वीवीआईपी क्षेत्र था, पर क्या स्थिति वाकई ऐसी थी? क्या इसे वह विशेष दर्जा प्राप्त हुआ था? 2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के रूप में स्मृति ईरानी यहाँ पहुँचीं, तब अमेठी की पहचान का यह आवरण खुला।
अमेठी संग्राम उसी अनदेखे सच को उजागर करती है। इसमें स्मृति ईरानी की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 की संघर्ष यात्रा और अंततः गाँधी परिवार पर विजय की गाथा का वर्णन है। इसके अलावा स्मृति ईरानी की रणनीतिक, व्यवहारिक और राजनीतिक कार्यशैली को भी यह किताब सूक्ष्मता से खोलती है।
अमेठी, कहने को तो वीवीआईपी क्षेत्र था, पर क्या स्थिति वाकई ऐसी थी? क्या इसे वह विशेष दर्जा प्राप्त हुआ था? 2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के रूप में स्मृति ईरानी यहाँ पहुँचीं, तब अमेठी की पहचान का यह आवरण खुला।
अमेठी संग्राम उसी अनदेखे सच को उजागर करती है। इसमें स्मृति ईरानी की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 की संघर्ष यात्रा और अंततः गाँधी परिवार पर विजय की गाथा का वर्णन है। इसके अलावा स्मृति ईरानी की रणनीतिक, व्यवहारिक और राजनीतिक कार्यशैली को भी यह किताब सूक्ष्मता से खोलती है।
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